सजदों में सिसकता देखो…
आओ किसी शब मुझे टूट के बिखरता देखो,
मेरी रगों में ज़हर जुदाई का उतरता देखो,
किस किस अदा से तुझे माँगा है खुदा से,
आओ कभी मुझे सजदों में सिसकता देखो।
सोचा था कि मिटाकर…
सोचा था कि मिटाकर सारी निशानी तेरी,
चैन से सो जायेंगे ।
बंद आँखो ने अक्स देखा तेरा,
तो बेचैन दिल ने पुकारा तुझको ।
उस शख्स को बिछड़ने…
उस शख्स को बिछड़ने का सलीका नहीं आता,
जाते जाते खुद को मेरे पास छोड़ गया…।
हर मुलाक़ात पर वक़्त का…
हर मुलाक़ात पर वक़्त का तकाज़ा हुआ,
हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ ।
सुनी थी सिर्फ लोगों से जुदाई की बातें,
खुद पर बीती तो हक़ीक़त का अंदाज़ा हुआ ।
ऐ चाँद चला जा क्यूँ आया है…
ऐ चाँद चला जा
क्यूँ आया है तू मेरी चौखट पर,
छोड़ गया वो शख्स
जिस के धोखे मे तुझे देखते थे ।
कोई मरता नहीं जुदाई में…
रब किसी को किसी पर फ़िदा न करे,
करे तो क़यामत तक जुदा न करे,
ये माना की कोई मरता नहीं जुदाई में,
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में।
जुदाई के मोड़ पर…
यह हम ही जानते हैं जुदाई के मोड़ पर,
इस दिल का जो भी हाल तुझे देख कर हुआ।
जुदाई का मलाल…
जब तक मिले न थे जुदाई का था मलाल,
अब ये मलाल है कि तमन्ना निकल गई।
तो जुदाई भी नहीं…
अब अगर मेल नहीं है तो जुदाई भी नहीं,
बात तोड़ी भी नहीं तुमने तो बनाई भी नहीं।
मार डालेगी जुदाई…
हमें ये मोहब्बत किस मोड़ पे ले आई,
दिल में दर्द है और ज़माने में रुसवाई,
कटता है हर एक पल सौ बरस के बराबर,
अब मार ही डालेगी मुझे तेरी जुदाई।
दिल से जुदा होना…
इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए,
तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है।
अंजाम जुदाई निकला…
बेवफा वक़्त था..?
तुम थे..?
या मुकद्दर था मेरा..?
बात इतनी ही है कि अंजाम जुदाई निकला ।
जुदाई का सबब…
हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर,
हम उसे अपनी खता कहते हैं,
वो तो साँसों में बसी है मेरे,
जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते हैं।
याद में तेरी आँहें…
याद में तेरी आँहें भरता है कोई,
हर सांस के साथ तुझे याद करता है कोई,
मौत तो सचाई है आनी ही है,
लेकिन तेरी जुदाई में हर रोज़ मरता है कोई।
किसी से जुदा होना…
किसी से जुदा होना इतना आसान होता तो,
रूह को जिस्म से लेने फ़रिश्ते नहीं आते।
बहुत खूब 👌
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